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Thursday, 5 December 2013

05.12.2013

में इस कदर रेत में जलता रहा ऐ "अजवाद "
और वो बनके मिराज़ मुझे युही बहकाती रही। 

Sunday, 19 May 2013

Meri diary ....


 मेरे  खयाल  में  आज एक सवाल है 
है ये प्यार बेमिसाल या बस धडकनों का उबाल  है।

गुरूर-ए - दौलत  तो चंद लम्हों का मेहमान है 
कभी रुतबा , कभी शान है 
जो न जकड़े इस बेमाने जाल में 
बस वही तो सच्चा इन्सान है ...

Saturday, 4 May 2013

katra waqt ka ...

कतरा - कतरा वक़्त का
यू  ही गुजर जाता है
जैसे दिन , रात  से  बिछड़ जाता है
मिलन तो है लम्हों का
पर सुहाना नज़र आता है
हज़ारों दर्द  नज़रों में
यू  छिपाए जाता है
जिस  ख़ुशी से एक जोकर
 सबको हसाता है
लाख छिपाएँ  दर्द को ,
ये जालिम
फिर भी छलक जाता है
कतरा- कतरा वक़्त का
बस यू  ही गुजर जाता है ...


Jeevan

  जीवन के  इस जाल  में
कंगाल हो गया  हू
पहले तो  बदहाल था
अब बेहाल हो गया हू
 गुजर गया एक लम्हा
 पलक झपकने से पहले
मैं खुद ही में उलझा
एक सवाल हो गया हू ......