Mere Khayal,Meri Zubani
Sunday, 9 April 2017
10.04.2017
सुना है वो खुद पे किताब लिख रहे है
न जाने क्यों लफ्ज़ो को शर्मसार कर रहे है
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment