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Saturday, 29 August 2015

Jumle Hazaar

वो कहते रहे जुमले हज़ार
और ये दिल तबले की थाप सा बजता रहा
असमंजस की क्या कहूँ इनसे
जो ये समय ही मेरा ना रहा
खिसक रही है मंजिलें
रास्ता फिसल रहा
वो कहते रहे जुमले हज़ार
मैं बिजली के तार सा जलता रहा
वक़्त बदल देता है हर इंसान को
ये वक़्त की कैफियत है
क्या है वो इंसान
जो वक़्त से पहले ही बदल रहा
वो कहते रहे जुमले हज़ार
मैं टूटे हुए हार सा बिखरता रहा। 

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