वो कहते रहे जुमले हज़ार
और ये दिल तबले की थाप सा बजता रहा
असमंजस की क्या कहूँ इनसे
जो ये समय ही मेरा ना रहा
खिसक रही है मंजिलें
रास्ता फिसल रहा
वो कहते रहे जुमले हज़ार
मैं बिजली के तार सा जलता रहा
वक़्त बदल देता है हर इंसान को
ये वक़्त की कैफियत है
क्या है वो इंसान
जो वक़्त से पहले ही बदल रहा
वो कहते रहे जुमले हज़ार
मैं टूटे हुए हार सा बिखरता रहा।
और ये दिल तबले की थाप सा बजता रहा
असमंजस की क्या कहूँ इनसे
जो ये समय ही मेरा ना रहा
खिसक रही है मंजिलें
रास्ता फिसल रहा
वो कहते रहे जुमले हज़ार
मैं बिजली के तार सा जलता रहा
वक़्त बदल देता है हर इंसान को
ये वक़्त की कैफियत है
क्या है वो इंसान
जो वक़्त से पहले ही बदल रहा
वो कहते रहे जुमले हज़ार
मैं टूटे हुए हार सा बिखरता रहा।
Nice bro
ReplyDeleteThanks
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