अपनी तो फितरत ही बदल दी मैंने तेरे आने से
दबी थी जो कुछ जिंदगी इस दिल में
निकली है फिर खिलके इस तहखाने से
हँसता था पहले छिपाने को दर्द इस ज़माने से
अब जो हँसता हूँ खुलके
तो थमता ही नही किसी के रुकाने से
मिलता हु तुझसे, तो लगता है हर ख़ुशी मिल गई
और जो जाती है तू लौटकर
'अजवाद ' मेरी तो जान ही निकल जाती है
तेरे जाने से....
दबी थी जो कुछ जिंदगी इस दिल में
निकली है फिर खिलके इस तहखाने से
हँसता था पहले छिपाने को दर्द इस ज़माने से
अब जो हँसता हूँ खुलके
तो थमता ही नही किसी के रुकाने से
मिलता हु तुझसे, तो लगता है हर ख़ुशी मिल गई
और जो जाती है तू लौटकर
'अजवाद ' मेरी तो जान ही निकल जाती है
तेरे जाने से....
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